झांसी/बुलंदशहर। दो दिन पहले दिल का दौरा पड़ने से दिल्ली में उपचार के दौरान झांसी कोतवाली में तैनात उप निरीक्षक संजीव कुमार जादौन की मौत के बाद उनको पुलिस लाइन में श्रद्धांजलि दी गई। वह बुलंदशहर जिले के खुर्जा न्यू शिवपुरी किला रोड गली नंबर छह के रहने वाले थे।
दरोगा संजीव कुमार (40) झांसी में पांच साल से कार्यरत थे। पिछले दिनों उन्हें कोतवाली में तैनात किया गया था। सोमवार की सुबह वह मिनर्वा चौकी में बैठे हुए थे। इसी दौरान उनके सीने में दर्द उठा। साथी उन्हें आनन फानन में मेडिकल कॉलेज ले गए। हालत देख उन्हें ग्वालियर रेफर किया गया। ग्वालियर के चिकित्सकों ने उन्हें दिल्ली रेफर कर दिया था। दिल्ली में बुधवार की सुबह इलाज के दौरान दरोगा ने दम तोड़ दिया। एसएसपी डा ओपी सिंह के अनुसार दरोगा के शव को पूरे सम्मान के साथ गृह जनपद भेज दिया गया है।
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हर समय रहती थी परिवार की चिंता
दरोगा के जानने वालों ने बताया कि उनके घर की परिस्थितियां विषम थीं। हर समय उनको परिवार की चिंता लगी रहती थी। यहां तक कि रात में ढंग से सो भी नहीं पाते थे। किसी भी परिजन का फोन आने पर वे अनजानी अनहोनी की आशंका से घबरा उठते थे।
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मदद को बढ़े थे कई हाथ
मृतक दरोगा संजीव कुमार जादौन के घर तीन माह पहले हादसा हो गया था। कुछ लोगों ने दरोगा की मां पर हमला किया था, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गईं थीं। इलाज का बड़ा खर्च होने की वजह से दरोगा की माली हालत कमजोर हो गई थी। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दरोगा के इलाज के लिए पुलिस कर्मचारियों के बीच मुहिम चल गई थी। जिससे जितना बना, उसने उतना पैसा उनके खाते में जमा कराया था। केवल झांसी ही नहीं, बल्कि बाहरी जनपदों में तैनात पुलिस कर्मचारियों ने भी उसकी मदद की। इसके अलावा जन सामान्य भी सहायता को आगे आए।
दरोगा संजीव कुमार (40) झांसी में पांच साल से कार्यरत थे। पिछले दिनों उन्हें कोतवाली में तैनात किया गया था। सोमवार की सुबह वह मिनर्वा चौकी में बैठे हुए थे। इसी दौरान उनके सीने में दर्द उठा। साथी उन्हें आनन फानन में मेडिकल कॉलेज ले गए। हालत देख उन्हें ग्वालियर रेफर किया गया। ग्वालियर के चिकित्सकों ने उन्हें दिल्ली रेफर कर दिया था। दिल्ली में बुधवार की सुबह इलाज के दौरान दरोगा ने दम तोड़ दिया। एसएसपी डा ओपी सिंह के अनुसार दरोगा के शव को पूरे सम्मान के साथ गृह जनपद भेज दिया गया है।
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हर समय रहती थी परिवार की चिंता
दरोगा के जानने वालों ने बताया कि उनके घर की परिस्थितियां विषम थीं। हर समय उनको परिवार की चिंता लगी रहती थी। यहां तक कि रात में ढंग से सो भी नहीं पाते थे। किसी भी परिजन का फोन आने पर वे अनजानी अनहोनी की आशंका से घबरा उठते थे।
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मदद को बढ़े थे कई हाथ
मृतक दरोगा संजीव कुमार जादौन के घर तीन माह पहले हादसा हो गया था। कुछ लोगों ने दरोगा की मां पर हमला किया था, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गईं थीं। इलाज का बड़ा खर्च होने की वजह से दरोगा की माली हालत कमजोर हो गई थी। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दरोगा के इलाज के लिए पुलिस कर्मचारियों के बीच मुहिम चल गई थी। जिससे जितना बना, उसने उतना पैसा उनके खाते में जमा कराया था। केवल झांसी ही नहीं, बल्कि बाहरी जनपदों में तैनात पुलिस कर्मचारियों ने भी उसकी मदद की। इसके अलावा जन सामान्य भी सहायता को आगे आए।