हैदराबाद में पशु चिकित्सक महिला के साथ दरिंदगी के बाद हत्या कर शव को जला देने की महिला शक्ति ने घोर निंदा की है। अमर उजाला अपराजिता अभियान के'कब तक निर्भया' के तहत संवाद का आयोजन किया गया। उपस्थित महिलाओं ने कहा कि ऐसे लोगों को तत्काल फांसी होनी चाहिए। महिलाएं और बेटियां कब तक निर्भया जैसा दंश झेलती रहेंगी। समाज में जागरूकता की जरूरत है। प्रत्येक परिवार को अपने बेटों को संस्कार देने चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि जैसे हम उनकी मां और बहन हैं, वैसे ही वह सामने वाले को सम्मान दें। अगर, परिवार इस तरह की पहल नहीं करता है तो स्कूलों को यह चीज अमल में लानी चाहिए। जिससे लड़के संस्कारित हो सकें और महिलाओं का सम्मान करें।
हमारे देश में कड़ा कानून बनना चाहिए, जिससे अपराधी अपराध करने से डरे। अपराध करते समय उसके हाथ कांपें। अगर, उसको तत्काल सजा दी जाएगी तो वह कभी ऐसा करने का साहस नहीं करेगा। कोई भी परिवार का व्यक्ति बच्चों को गलत शिक्षा नहीं देता। ऐसे दरिंदों को सजा तुरंत दी जाए, पब्लिक के सामने दी जाए। - पूजा चड्ढा, समाजसेवी
परिवार में जिस तरह से लड़कियों को समझाया जाता है। उन्हें ऊंच नीच का पाठ पढ़ाया जाता है। लड़कों को क्यों नहीं समझाया जाता। क्योंकि वह लाडले हैं। अब परिवारों को मानसिकता बदलने की जरूरत है। लड़कियों के साथ लड़कों को भी संस्कार दें, जिससे इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लग सके। - सविता गौतम
रास्ते में महिला के साथ छेड़छाड़ या अन्य कोई घटना हो जाती है तो लोगों को मदद के लिए आगे आना चाहिए। पुलिस भी सुनवाई करे। कई बार देखने में आता है कि घटना कहीं हुई है और पीड़ित किसी अन्य थाने में पहुंच गई। वहां उसकी सुनवाई नहीं होती है। पुलिस पहले मदद करे, भले ही बाद में केस को संबंधित थाने को ट्रांसफर कर दे। - उमा सोनी, समाजसेवी
देश को भारत माता कहा जाता है लेकिन इस देश में नारी का सम्मान नहीं हो रहा है। महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ता जा रहा है। देश में कानून को और सख्त होने की जरूरत है। समय रहते दरिंदों को सजा दी जाए, जिससे भविष्य में इस तरह की घटना न हों। अब देश की बेटियां स्वयं अपराजिता बनकर लड़ेंगी। - तरुणिमा श्रीवास्तव, चिरैया फाउंडेशन
हमारे देश की बहन बेटियां कब तक दुष्कर्मों से जूझती रहेंगी। बच्चियों के साथ कब तक रेप होते रहेंगे। ऐसे दरिंदों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। महिलाएं भी तब तक लड़ें जब तक इस मामले में आरोपियों को फांसी न हो जाए। - पूजा शर्मा, सदस्य, राष्ट्रीय सैनिक संस्था
पहले पढ़ाई के दौरान नैतिक शिक्षा दी जाती थी। उस शिक्षा से संस्कार पैदा होते थे, समाज के प्रति समझ बढ़ती थी। आज नैतिक शिक्षा को खत्म ही कर दिया गया है। सबसे ज्यादा जरूरी है कि लड़कों को शिक्षा दी जाए। सामने वाली महिलाएं भी हमारी मां, बहनों की तरह हैं। उन्हीं की तरह उनका भी सम्मान करें। जब उनके दिमाग में ये होगा तो इस तरह की घटना होगी ही नहीं। - गार्गी त्यागी, काउंसलर
देश में कब तक निर्भया जैसे कांड होते रहेंगे। महिला समाज को भी ऐसे अपराधों के खिलाफ एक साथ आकर लड़ना होगा। महिला अब किसी क्षेत्र में कमजोर नहीं है। मुंह तोड़ जवाब दे सकती है। महिलाओं और लड़कियों को जागरूक करेंगे। अपराजिता बनकर लड़ेंगे। - वंदना सिंह, एडवोकेट
प्राइमरी शिक्षा के दौरान बच्चों को पढ़ाया जाए कि महिला बच्चे को जन्म देती है। महिला भगवान है। तो शुरू से ही उनकी मानसिकता में बदलाव आएगा। स्कूलों में एडवाइजरी जारी करके बच्चों को 11 कर्तव्यों को पढ़ाया जाए। महिलाओं को सेल्फ डिफेंस सीखना चाहिए। अपने बचाव के लिए महिलाएं मिर्ची का पाउडर अपने पास रखें। - टीपी त्यागी, चेयरमैन, एओए फेडरेशन गाजियाबाद
इस तरह की घटनाओं की जितनी निंदा की जाए कम है। ऐसे दरिंदों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई हो जो मिसाल बने। आगे इस तरह की दरिंदगी करने से पहले वह डरें। सरकार को और सख्त कानून बनाने चाहिए। - सुभाष छावड़ा, महानगर अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल
हमें सुधार पहले अपने घर से करना होगा। हर व्यक्ति प्रण करे कि वह अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देगा और इस बारे में उन्हें समझाएगा। तो शायद देश के अंदर इस तरह की घटनाएं नहीं होंगी। माताएं बेटियों के साथ बेटों को भी संस्कार सीखाएं। - श्याम सुंदर भोला, महामंत्री, तुराबनगर व्यापार मंडल
सबको मिलकर लड़नी होगी लड़ाई